प्रवासी मजदूर लोग हमे कहते है by Pallav Kumar
प्रवासी मजदूर लोग हमे कहते है written by Pallav Kumar
प्रवासी मजदूर लोग हमे कहते है
किसी को कोई काम हो लोग हमे कहते है
फँसा हुआ काम हो वो पूरा हम ही करते है
रुका हुआ काम हो अधूरा नही छोड़ते है
दिन रात काम करते सब के साथ रहते है
कम सॅलरी है फिर भी हमेशा हंसते है
प्रवासी मजदूर लोग हमे कहते है
खाली पेट हो या भरा, काम हमेशा करते है
कोई काम ना रुके इसलिए हम डरते है
जब तक काम पूरा ना हो हम लगे रहते है
अपने मलिक के चमचों से डरे सहमे रहते है
प्रवासी मजदूर लोग हमे कहते है
दो वक़्त की रोटी हम मेहनत से कमाते है
जिस दिन काम ना हो उस दिन कम खाना खाते है
जो कमाते है उसमे से थोरा थोरा बचाते है
जो बचाते है वो बैंक मे जमा कराते है
अपने बीवी बच्चो को उसी से तो खिलाते है
कितना सुनाए बस ऐसे ही हम रहते है
प्रवासी मजदूर लोग हमे कहते है
एक वक़्त आया था जब दिल बहुत घबराया था
जहां मैं काम करता था वाहा तो अब ताला था
सेठ अपने घर पे था अब मुझको ना पहचानता था
अब तो सब पराया था जो कल तक सब अपना था
किसी ने साथ नही दिया तो अपना भी दिल टूटा था
क्या करे क्या ना करे यही सोच के मैं बैठा था
तभी एक ऐलान हुआ की हमे अपने गांव जाना है
ना जाने कैसे बस पैदल ही चलते जाना है
निकल परे खुले आसमान मे क्योंकि हमे घर जाना है
छोड़ गए वो जगह जिसे कभी अपना समझते थे
प्रवासी मजदूर लोग हमे कहते थे
प्रवासी मजदूर लोग हमे कहते थे
Written by - Pallav Kumar