तुम ही सत्ता के नायक हो
तुम ही सत्ता के नायक हो by Pallav Kumar, tum hi satta k nayak ho by Pallav Kumar
तुम ही सत्ता के नायक हो
सत्ता के शिखर तक पहुँचना ज़रूरी नही आवाज़ उठाने को
तुम उठो, बढ़ो, बुलंद करो अपने अपने ज्यकारे को
वो डरे इतना की मजबूर होकर छोड़े अपनी मनमानी को
हुंकार भरो ऐसे जैसे तुम ही सत्ता के नायक हो
बनाओ ऐसा आंदोलन जैसे गाँधी ने बनाया था
जगाओ हर जनमानस को जैसे सुभाष ने जगाया था
ना डरो ऐसे तानाशाही से जो हर पल जहर घोल रहा
मस्तिस्क मानव का ऐसे ही बातों से डोल रहा
बुनियादी सुविधाओं से दूर सबको भक्त बनाएगा वो
कैसे ऐसा पाप कर चैन से रह पाएगा वो
बिना रुके बढ़ते रहो तुम लोगों के जननायक हो
हुंकार भरो ऐसे जैसे तुम ही सत्ता के लायक हो
हुंकार भरो ऐसे जैसे तुम ही सत्ता के नायक हो
लेखक: पल्लव कुमार