साहब ने कहा है, नफरत का ऐलान कर दो
सब तंत्र खरीद के उसको सरे आम कर दो, कोई आवाज न उठा पाए, सारे दरवाजे जाम कर दो
साहब ने कहा है, नफरत का ऐलान कर दो
अपनी एक भीड़ बनाओ, लोगों का कत्लेआम कर दो।
अंधभक्ति के नशे में इतना डूब जाओ
की कोई सच बोले तो उसकी इज़्ज़त नीलाम कर दो
सब तंत्र खरीद के उसको सरे आम कर दो
कोई आवाज न उठा पाए, सारे दरवाजे जाम कर दो
साहब ने कहा है, नफरत का ऐलान कर दो
कोई साँस ना ले पाए, हवा को जाम कर दो
भुखे मरने दो, जिंदगी की भीख मांगने दो
कोई आवाज़ न उठे इसका इंतज़ाम कर दो
कोई आवाज उठे भी तो उसको देशद्रोही बना दो
अपना एक तंत्र बनाओ और लोगो का कत्लेआम कर दो
कोई देखे न हमारी नाकामी को, सबकी आंखे नीलाम कर दो
कोई पुछे ना हमसे कोई सवाल, सबकी जुबान लाल कर दो
कोई सुने न हमारी बातें, सब जगह इतना शोर कर दो
सिर्फ हम ही हम हो हर जगह, ऐसा कोई प्रसंग रच दो
साहब ने कहा है, नफ़रत का ऐलन कर दो
अपनी एक भीड़ बनाओ, लोगों का कत्लेआम कर दो।